पिता का 50 साल पुराना सपना पूरा करने को करियर दांव पर लगाया, जानें IAS मुद्रा गैरोला की कहानी
Jaya Pandey
अपना करियर बदलने का यह मतलब बिलकुल भी नहीं है कि वह शख्स अपने फ्यूचर को लेकर कंफ्यूज है, कई बार यह अपने लक्ष्य की ओर अधिक फोकस रहने की भी निशानी है.
आज हम आपको IAS अधिकारी मुद्रा गैरोला की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपना मेडिकल करियर छोड़कर सिविल सेवा में आने का जोखिम उठाया और सफल रहीं.
मुद्रा उत्तराखंड के चमोली जिले के कर्णप्रयाग की रहने वाली है और बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थीं. उन्हें 10वीं में 96% और 12वीं में 97% मार्क्स मिले.
भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने उन्हें स्कूल में सम्मानित भी किया था. स्कूलिंग के बाद उन्होंने मुंबई के एक मेडिकल कॉलेज से बीडीएस का कोर्स किया.
बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी में भी वह गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं. इसके बाद वह दिल्ली चली गईं और वहां एमडीएस में दाखिला ले लिया लेकिन पिता का सपना पूरा करने के लिए इसे बीच में ही छोड़ दिया.
मुद्रा के पिता हमेशा से उन्हें आईएएस अधिकारी बनाने का सपना देखते थे. उन्होंने खुल साल 1973 में यूपीएससी की एग्जाम दिया था लेकिन सफल नहीं हो पाए थे.
बेटी ने भी पिता की भावनाओं का सम्मान किया और एमडीएस की पढ़ाई छोड़ यूपीएससी की तैयारी करने लगीं. लेकिन जब वह अपने तीन अटेंप्ट में असफल रहीं तो उन्हें मायूसी हाथ लगी.
आखिरकार 2021 में उनकी मेहनत रंग लाई और 165वीं रैंक लाकर वह आईपीएस अधिकारी बन गईं लेकिन उन्हें तो अपने पिता का सपना पूरा करना था.
उन्होंने साल 2022 में फिर से यूपीएससी का एग्जाम दिया और इस बार उन्हें 53वीं रैंक मिली और इस बार वह आईएएस अधिकारी बन पापा का सपना पूरा करने में कामयाब रहीं.