May 16, 2024, 11:32 PM IST

सिर्फ नाचती-गाती नहीं, रईसजादों को ये सब भी सिखाती थीं तवायफें

Jaya Pandey

अगर 'तवायफ' को आप देह व्यापार या बदचलनी से जोड़कर देखते हैं तो आप गलत हैं. दरअसल पुराने समय में तवायफों का काम गायन और नृत्य करके लोगों का मनोरंजन करना होता था. 

ये तवायफें सिर्फ नाच-गाना ही नहीं करती थी बल्कि बड़े घर के लड़कों जैसे नवाबों, ब्रिटिश अफसर, व्यापारियों के बच्चों को तहजीब भी सिखाती थीं. 

तवायफों को छोटी उम्र से ही शास्त्रीय संगीत और नृत्य सिखाने के लिए उस्ताद रखे जाते थे. वे कम आयु में ही इस कला में निपुण हो जाती थीं.

नवाबों और बड़े रसूखदार लोगों की महफिलों में तवायफों की उपस्थिति उनकी मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का सबब माना जाता था.

तवायफें अपने उसूलों की पक्की होती थीं और उनकी महफिल में  कितना भी अमीर शख्स हो, उन्हें अगर कुछ देना होता था तो वो कालीनों और तकियों के नीचे पैसे छोड़कर जाते थे. 

कई बड़े इतिहासकारों के मुताबिक तवायफें प्रशासन से कहीं न कहीं जुड़ी होती थीं, वो इतनी अमीर होती थीं कि वो अपने शहर के सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों में शुमार थीं.

उनमें से कई काफी अमीर थीं, कुछ के अपने उद्योग भी थे जिसे ब्रिटिशर्स ने तबाह कर दिया और उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया था.

तवायफों के कोठे तहजीब की पाठशाला कहलाते थे, इसमें नवाब और अंग्रेज अधिकारी अपने बच्चों को शिष्टाचार सिखाने के लिए भेजते थे.

यहां तक की बड़े व्यापारी भी अपने बच्चों को उनसे तहजीब सीखने भेजते थे ताकि वे उनका व्यापार संभालने के लिए तैयार हो सकें और महिलाओं के साथ तमीज से पेश आएं.