गोदावरी को गंगा की तरह ही काफी पवित्र माना जाता है. बहुत से लोग इसके तट पर स्थित पवित्र स्थानों पर जाते हैं. यह नदी भक्ति और आस्था की प्रतीक है.
गोदावरी नदी को दक्षिण की गंगा माना जाता है. यह नदी दक्षिण भारत की पवित्र जीवन रेखा है.
यह भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है. यह महाराष्ट्र से शुरू होकर कई राज्यों से होकर 1465 किलोमीटर तक की दूरी तय करती है. यह बंगाल की खाड़ी में जाकर खत्म होती है.
कुंभ मेले जैसे बड़े त्योहार इसके तट पर मनाए जाते हैं. लोगों का मानना है कि यह नदी उनके पापों को धो देती है. लाखों लोग पवित्र स्नान करने के लिए इसके तट पर इकट्ठा होते हैं.
गोदावरी को दक्षिण गंगा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दक्षिण भारत के लोगों को पानी उपलब्ध कराकर उनके जीवन को सहारा देती है.
किसान चावल, गन्ना और दूसरे फसलों को उगाने कि लिए इस नदी के पानी पर निर्भर करते हैं जिससे लाखों लोगों को भोजन मिलता है. कृषि के माध्यम से यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है.
यह नदी कई जानवरों, पक्षियों और पौधों का घर है जो इसे प्रकृति का एक अहम हिस्सा बनाती है. इसे मैंग्रोव और अभयारण्य जैव विविधता का समर्थन करते हैं.