भारत में बैन हो चुकी हैं ये 10 फिल्में, जानें क्या रही वजह
Jyoti Verma
2006 में रिलीज फिल्म दा विंची कोड, ईसाइयों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप के कारण बैन कर दी गई थी.
2003 की फिल्म द पिंक मिरर एलजीबीटीक्यू+ के बारे में दिखाया गया था, इसलिए इसे बैन कर दिया गया था.
1996 की फिल्म फायर समलैंगिक रिश्ते के बारे में दिखाए जाने के कारण बैन की गई थी.
इंडियाज़ डॉटर साल 2015 की फिल्म है. यह डॉक्यूमेंट्री 2012 के दिल्ली रेप केस के बारे में है. फिल्म में हिंसा और विरोध के चलते इसे बैन किया गया था.
बैंडिट क्वीन साल 1994 की हिट फिल्म में से एक रही. यह फिल्म फूलन देवी के जीवन पर आधारित है, जिसमें हिंसा और बलात्कार जैसे कई सीन दिखाए गए थे, जिसके कारण इसे बैन किया गया था.
फिल्म Gandu साल 2010 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में सेक्सुअल कंटेंट, खराब भाषा और युवा विद्रोह के कारण 7 साल के लिए बैन किया गया था.
पांच फिल्म 2001 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में नशीली दवाओं, हिंसा के कारण इसे बैन किया गया था.
कामसूत्र ए टेल ऑफ़ लव साल 1996 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में सेक्सुअल कंटेंट दिखाए जाने के कारण इसे बैन किया गया था. साथ ही भारतीय संस्कृति से जुड़े मुद्दे के चलते इसे ए (18+) सर्टिफिकेट मिलने से पहले ही इसे बैन कर दिया गया था.
साल 2011 में रिलीज फिल्म छत्रक एक बंगाली कामुक नाटक है, जिसे कई फिल्म समारोहों में दिखाया गया था, लेकिन फिल्म में हद से ज्यादा सेक्सुअल कंटेंट दिखाए जाने के कारण भारत में इसे बैन कर दिया गया था.
अनफ्रीडम फिल्म साल 2014 में रिलीज हुई थी और इसमें समलैंगिक संबंधों और धार्मिक अतिवाद के बारे में दिखाया गया है, जिसके कारण इसे भारत में बैन किया गया.