Aug 29, 2024, 09:48 PM IST

छात्रों की सुसाइड पर चौंकाने वाले आंकड़े, इन राज्यों में ज्यादा घटनाएं

Meena

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित 'छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैलती महामारी' रिपोर्ट को वार्षिक IC3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में जारी की गई. 

इस रिपोर्ट में छात्रों की आत्महत्या को लेकर चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि भारत जितनी तेजी से आबादी नहीं बढ़ रही उससे ज्यादा तेजी से छात्रों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं. 

रिपोर्ट बताता है कि सालाना आत्महत्या के मामले 2 प्रतिशत बढ़े हैं जबकि छात्रों की आत्महत्या के मामलों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. छात्रों की आत्महत्या के मामलों में कई केस दर्ज ही नहीं किए गए हैं. 

पिछले 2 दशकों में छात्रों की आत्महत्याएं चिंताजनक स्थिति के साथ 4 प्रतिशत की दर से सालाना बढ़ी हैं जो कि राष्ट्रीय औसत का दोगुना हैं. 

साल 2022 में कुल छात्र आत्महत्याओं में 53 प्रतिशत पुरुष छात्रों ने आत्महत्या की थी.  साल 2021 और 2022 के बीच पुरुष छात्रों की आत्महत्या घटकर 6 प्रतिशत हो गई जबकि महिला छात्रों की आत्महत्याएं 7 प्रतिशत बढ़ गईं.  

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में 24 साल तक के व्यक्तियों की आबादी 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई है, जबकि इसी दौरान छात्रों की  सुसाइड के मामले 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गए हैं.  

IC3 इंस्टीट्यूट एक नॉन-प्रॉफिट संस्था है. यह संस्थान दुनियाभर में छात्रों की शिक्षा को लेकर सहायता मुहैया कराता है.  प्रशासनिकों, शिक्षकों और सलाहकारों को गाइडेंस और ट्रेनिंग के जरिए सहायता करती है. 

रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा छात्र आत्महत्याएं करते हैं. यहां इतनी सुसाइड्स होती हैं जो कुल आत्महत्याओं का एक तिहाई है.  

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों पर प्रतिस्पर्धा का दबाव बनाने से बेहतर उनकी दक्षताओं को बेहतर करना. ऐसा करने पर ही हम ऐसी आत्महत्याओं को रोक पाएंगे.