May 20, 2024, 12:32 PM IST

कैसे बीतते थे तवायफों के दिन, हर रोज घंटों बहाना पड़ता था पसीना

Smita Mugdha

तवायफों की जिंदगी खुली किताब की तरह नहीं होती थी और लोगों की दिलचस्पी उनकी जिंदगी के बारे में होती थी.  

तवायफों की जिंदगी की डेली रूटीन आम लोगों की तरह नहीं होता था, क्योंकि वो देर रात तक जगती थीं. 

आम तौर पर कोठों पर शाम ढलने के बाद ही मजमा जुटता था और कला के कद्रदान पहुंचते थे. 

तवायफों की जिंदगी पर बनाई डॉक्युमेंट्री में सबा दीवान ने काफी रिसर्च के बाद तवायफों की डेली रूटीन भी बताई है.

आम तौर पर तवायफों की दिन की शुरुआत काफी देर से होती थी,क्योंकि वह देर रात तक जगी रहती थीं. 

हर तवायफ की जिंदगी में संगीत के रियाज का क्रम नहीं टूटता था, सिर्फ विशेष हालात में ही इससे छूट मिलती थी. 

दिन में कोठे पर रहने वाली लड़कियों को भविष्य के लिए तैयार किया जाता था और उन्हें शायरी, अदब की सीख दी जाती थी.

तवायफों को अलग-अलग तरह के नृत्य शैली सीखने के लिए भी रोज घंटो रियाज करना होता था. 

कोठे की जिंदगी से बाहर निकलने का मौका आम तौर पर तवायफों को मुजरा करने और महफिल सजाने के लिए जाने पर ही मिला करता था.