Jul 28, 2024, 11:01 AM IST
वो 1573 की तारीख थी, मुगल बादशाह अकबर ने सूरत के किले पर कब्जा कर लिया.
उसने किलेदार हम्जाबान की जीभ कटवा दी, साथ ही सभी बागियों को रस्सियों से बंधवा कर कैद में डाल दिया.
किले के फतेह पर अकबर इतना खुश हुआ कि उसने इसके लिए एक भव्य जश्न का आयोजन किया.
इस जश्न-ए-महफिल में उसने जमकर शराब पी, शराब के नशे में उसने तय किया कि वो सभी दरबारियों के सामने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करेगा.
इसने अपनी आधी तलवार को दीवार में धंसा दिया, और आधी तलवार पर अपनी छाती से धक्के मारने जा रहा था. नशे में उसे लग रहा था कि उसके छाती के धक्कों से तलवार टूट जाएगी.
तभी मानसिंह ने वह तलवार खींचकर निकाल ली. अकबर दीवार से जा टकराया, लेकिन उनकी जान बच गई.
उसने नाराज होकर मानसिंह का गला पकड़ लिया और उसे घोटने लगा. अकबर शराब के नशे में धुत्त था. उसे पता नहीं था कि वह क्या कर रहा था.
कहां तो अकबर अपनी जान लेने जा रहा था और कहां अब वह राजा मानसिंह की जान लेने पर उतारू हो गया.
बाद में उसे दरबारियों ने समझाया कि जिसका गला आप घोंट रहे उसी ने आपकी जान बचाई है. तब जाकर वो माना. फिर उसे जब होश आया तो वो अपने इस कृत्य को लेकर बहुत शर्मिंदा हुआ.