Aug 23, 2023, 05:30 PM IST
दूध से चमकने वाले दूर के चंदा मामा की 10 खास बातें
Kuldeep Panwar
बच्चों के चंदामामा तो ज्योतिष और पंचांग के खास हिस्से के तौर पर चांद की हमारी जिंदगी में खास अहमियत रही है.
चांद के बारे में सबकुछ जानने की चाहत के चलते ही अब उसकी जमीन पर भारतीय अपना कदम रखने जा रहे हैं.
चांद के बारे में 10 बातें ऐसी हैं, जो शायद आपको नहीं पता होंगी. चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
धरती से गोल दिखने वाला चांद दरअसल अंडाकार है. इसका ज्योमेट्रिकल वेट भी केंद्र से 1.2 मील की दूरी पर है.
धरती से चांद का 59% हिस्सा ही दिखता है. चांद के शेष 41% हिस्से पर आप खड़े होंगे तो धरती दिखाई नहीं देगी.
चांद को Blue Moon कहने की शुरुआत 1883 में इंडोनेशिया के क्राकातोआ द्वीप के ज्वालामुखी विस्फोट से हुई थी.
इतिहास के इस सबसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट से उछली राख से कई हफ्तों तक आसमान में चांद नीला दिखा था.
यूएस ने रूस पर दबाव बनाने के लिए चांद पर परमाणु विस्फोट की तैयारी कर ली थी. यह प्रोजेक्ट A119 था.
चांद पर मौजूद इंपैक्ट क्रेटर यानी गहरे गड्ढे अब से चार अरब साल पहले आकाशीय पिंडो की टक्कर से बने हैं.
पेरिग्री प्रोसेस के कारण चांद पृथ्वी के घूमने की गति को हर 100 साल में 1.5 मिलीसेकेंड तक धीमा कर रहा है.
चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी की ओट में आने से चांद का तापमान 90 मिनट में 500 डिग्री फारेनहाइट घट जाता है.
चांद कैसे बना, इसे लेकर सबसे मान्य धारणा है कि यह धरती से एस्टेरॉयड टकराने पर टूटकर अलग हुआ हिस्सा है.
चांद के बदलते रूप यानी चंद्रकलाएं उसके
चांद के क्रेटर्स का चर्चित हस्तियों के नाम पर नामकरण इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉमिकल यूनियन द्वारा किया जाता है.
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