आज हम एक ऐसी मुगल बेगम की कर रहे है, जो कि निशानाबाजी की शौकीन थी.
हम बेगम नूरजहां की बात कर रहे हैं. कहते है नूरजहां कभी भी अपने निशाने से नहीं चूकती थी.
एक बार बादशांह के दरबार में शिकारी दल का एक सदस्य आया.
उसने जहांगीर से कहा कि नरभक्षी बाघ ने पूरे नगर में आतंक मचा रखा है. कईयों की जान जा चुकी है.
इस पर जहांगीर ने तो मना कर दिया, लेकिन बेगम नूरजहां नरभक्षी बाघ का शिकार करने के लिए तैयार हो गई.
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जहांगीर को नूरजहां की अचूक निशाना लगाने की खूबी से परिचित थे. इसलिए उन्हें बंदूक में अचूक निशान लगाने की अनुमति दे दी.
इसके बाद नूरजहां हाथी की पीठ पर बैठीं और हाथ में बंदूक लेकर निकली.
.नूरजहां ने अपनी अचूक निशानेबाजी से बाघ को मार गिराया और प्रजा के डर का अंत किया.