Aug 4, 2024, 03:11 PM IST

इस 'बिहारी' राजा ने मुगलों को बुरी तरह से हराया था

Aditya Prakash

शेरशाह सूरी का असली नाम फरीद था. उनका जन्म बिहार के सासाराम में हुआ था.

वो मुगल फौज में कार्यरत थे. वो बाबर के साथ 1528 में चंदेरी अभियान के हिस्सा थे. उसी दौरान उन्होंने हिंदुस्तान का बादशाह बनने का ख्वाब देखा था. 

बाद में मुगलों को छोड़ शेरशाह बिहार के एक छोटे से राजा जलाल खान के दरबार में उपमंत्री के तौर पर कार्यरत हो गए.

बाबर की मौत के बाद मुगलिया सल्तनत हुमायूं के पास आई. उनकी चाहत बंगाल जीतने की थी.

बीच में शेरशार का इलाका पड़ता था, तब तक शेरशाह का कद काफी बढ़ गया था. बिहार से बंगाल तक उनकी ताकत फैल चुकी थी.

साल 1537 में दोनों की सेनाएं चौसा में एक दूसरे के सामने खड़ी थीं. लेकिन दोनों के बीच समझौता हो गया.

साल 1540 को कन्नौज में हुमायूं और शेरशाह सूरी की फौज के बीच जबरदास्त मुकाबला हुआ. मुगलों के पास शेरशाह से दोगुनी फौज थी.

इस जंग में शेरशाह ने एक भी सैनिक बिना गंवाए फतेह हासिल कर ली, मुगलों की सेना युद्ध शुरू होने से पहले भी भाग गई. 

इसके बाद शेरशाह ने मुगलों का एक बड़ा हिस्सा अपने हिस्से में कर लिया, हुमायूं को भागकर दूसरे राजाओं के शरण में जाना पड़ा.