अकबर और बीरबल की न जाने कितनी कहानियां हम लोगों ने सुनी होंगी.
यह भी आपने पढ़ा ही होगा कि अकबर जब भी किसी मुसीबत में पड़ता था तो बीरबल को ही याद करता था.
क्या आप यह जानते हैं कि बीरबल की जान कैसे गई थी तो चलिए हम आपको पूरा किस्सा बताते हैं.
इरा मुखोती की किताब ‘द ग्रेट मुग़ल’ के अनुसार, बीरबल, अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे.
शाज़ी ज़मां की किताब 'अकबर' में बताया गया है कि 586 ईसवी में जैन खां कोका को यूसुफ़ज़ई क़बीले को शिकस्त देने के लिए तैनात किया गया था.
जब जैन खां कोका की ओर से फ़ौज मांगी तो बादशाह ने बीरबल को वहां मदद के लिए भेज दिया गया था. इसके साथ कीम अबुल फ़तह को भी भेज दिया गया था.
बीरबल की जैन खां कोका और कीम अबुल फ़तह से अच्छे रिश्ते नहीं थे, उसके बाद भी बीरबल वहां पर थे.
बीरबल दिमाग से तो बहुत ही तेज थे,लेकिन युद्धकला में उतने माहिर नहीं थे. इस बीच बीरबल के खिलाफ एक जाल बुना गया. बताया जाता है कि कबीलाई पहाड़ चढ़ने में पारंगत थे, जबकि मुगल सेना नहींं. ऐसे में बीरबल ने अलग रणनीति बनाई. इससे जैन खान कोका सहमत नहीं था.
उन्हें धोखे से काबुल की धूसर पहाड़ियों से नीचे गिरा दिया गया. जिससे पत्थरों के नीच दबकर मौत हो गई. माना जाता है कि अकबर ने यही सबसे बड़ी भूल थी, जिसके वजह से बीरबल की जान चली गई.