चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाले LVM3 की क्या है खासियत?
DNA WEB DESK
ISRO ने 5 जुलाई को चंद्रयान-3 स्पेस क्राफ्ट को लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3) के साथ कनेक्ट कर दिया है.
सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी पूरी हो गई है.
चंद्रयान-3 में एक लैंडर, एक रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल लगाया गया है. चंद्रयान-3 खुद उड़ान नहीं भर सकता इसलिए कक्ष में स्थापित करने के लिए LVM3 की जरूरत पड़ी है.
LVM3 देश का सबसे भारी रॉकेट है. इसका वजन 640 टन है. इसकी लंबाई 43.5 मीटर है. 5 मीटर इसका व्यास है.
यह लॉन्च व्हीकल, 8 टन का भार उठाने में सक्षम है. यह लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में धरती से करीब 200 किलोमीटर दूर पहुंचा देगा. यह लॉन्च व्हीकल 3 स्टेज में लॉन्च करेगा. इसमें दो सॉलिड बूस्टर्स लगे हैं.
ISRO ने इस जियो सेंक्रोनाइज़्ड सैलेटाइल लॉन्च व्हीकल को का नाम बदल दिया है. अब यह LVM3 है, पहले इसका नाम GSLV MK-III था.
LVM3 साल 2014 में लॉन्च हुआ था. यह साल 2019 में चंद्रयान को अंतरिक्ष में ले गया था.
मार्च में इसने एक साथ 36 वेब सेटैलाइट को लॉन्च किया था, जिसका भारत करीब 6,000 केजी था. यह कॉमर्शियल लॉन्चिंग भी करता है.