मानव का मौजूदा स्वरूप और शक्ल लाखों सालों के विकास का नतीजा है.
भले ही हमने कभी ध्यान नहीं दिया हो, या कभी नोटिस नहीं किया हो, लेकिन हमारे शरीर के भीतर लगातार बदलाव हो रहे हैं.
इंसान की मौजूदा प्रजाति होमो सेपियंस 29 लाख साल पहले की प्रारंभिक मानव प्रजाति ऑस्ट्रेलोपिथेकस से काफी अलग है.
यहां तक कि हम खुद अपनी 10 हजार साल पहले की मानव प्रजाति होमो सेपियंस से बहुत अलग दिखने लगे हैं.
सदियों से किसानी, मजदूरी और नए तरह के कार्यों को करने की वजह से हमारा शरीर लाखों साल पहले से हल्का हो चुका है.
इंसानों के विकास और बदलाव की प्रवृत्ति के हिसाब से कहा जा सकता है कि भविष्य की मानव प्रजाति भी हमसे काफी अलग दिखेगी.
ऑस्ट्रेलियाई 'यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेट' के रिसर्चर अर्थर सेनिओटिस और मेसिएज हेनबर्ग सितंबर 2011 को जर्नल ऑफ फ्यूचर स्टडीज में इस बारे में लिखा था.
उन्होंने बताया था कि मानव के हालिया अतीत से पता चलता है कि उसके मस्तिष्क का आकार तकनीकी विकास और समाजिक बदलाव के कारण घट गया है.
इंसान के चेहरे समेत पूरे शरीर में समय के साथ परिवर्तन होता रहा है. ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले हजारों सालों के बाद हम बिल्कुल एक नई शक्ल में होंगे.