Jun 16, 2024, 12:04 AM IST

इन 3 चीजों के बिना अधूरा होता था तवायफों का कोठा

Smita Mugdha

तवायफों के कोठे की अपनी रौनक होती थी और वहां गीत-संगीत मुजरा वगैरह चलते थे. 

क्या आप जानते हैं कि किसी भी कोठे की पहचान के लिए 3 चीज़ें बहुत जरूरी मानी जाती थी. 

हर कोठे के एक गुरू होते थे जो तवायफों को नृत्य और संगीत के साथ वाद्य यंत्रों की पहचान के नुस्खे समझाते थे. 

तवायफों का पहचान अक्सर उनके गुरू से भी होती थी और इसलिए यह कोठे की संस्कृति का अहम हिस्सा था. 

दूसरी चीज़ होती थी कलाकारों का समूह. तवायफों के साथ सारंगी, तबले से लेकर गाने वाले गायकों का एक समूह होता था. 

नइन कलाकारों के दम पर ही तवायफों के कोठे की रौनक होती थी और मुजरे के लिए मिलने वाले आमंत्रणों में कलाकार साथ जाते थे.

तीसरी चीज होती थी हर कोठे को किसी एक बड़े रईस, नवाब की रैय्यत माना जाता था. ये रईस उस कोठे पर सबसे ज्यादा दौलत लुटाते थे. 

नवाबों और रईसों से तवायफों को खास मौके पर इनाम और इकराम भी मिला करते थे.

आजादी से पहले तवायफों के कोठे कला और संस्कृति के साथ तहजीब सीखने की जगह भी मानी जाती थी.