Jul 11, 2024, 04:25 PM IST

यहां चिताओं के बीच क्यों सजती है तवायफों की महफिल

Rahish Khan

श्मशान घाट चाहे जो भी वहां हर इंसान अपनों के बिछड़ने के गम में डूबा रहता है.

अगर वहां भी कुछ लोग थिरकने के काम करेंगे तो जरूर अजीब लगेगा. 

लेकिन मोक्ष की धरती कही जानी वाली काशी (वाराणसी) में ऐसी अजीबोगरीब परंपरा चल रही है.

वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच तवायफें अपनी महफिल सजाती हैं.

कहा जाता है कि यह परंपरा 378 सालों से चली आ रही है. यहां चिताओं के बीच तवायफें ठुमके लगाती हैं.

जलती चिताओं के बीच तवायफों की यह महफिल किसी जश्न के लिए नहीं, बल्कि महाश्मशान बाबा की तपस्या के लिए होती है.

मान्यता है कि ऐसा करने पर तवायफों को अगले जन्म में इज्जत की जिंदगी मिलती है. 

यह अनोखा कार्यक्रम चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि पर वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर होता है.

इस दिन नगरवधुएं, किन्रर और तवायफें सज-धजकर नृत्य करने जाती हैं.

उन्हें अगले जन्म में ऐसी जिंदगी का सामने न करने पड़े, इसलिए पूरी रात इस तरह की तपस्या करती हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.