दिल्ली में रहने वाला हर शख्स कभी न कभी कनॉट प्लेस जरूर जाता होगा.
यहां की मार्केट देशभर में मशहूर है. कनॉट प्लेस में हर बजट की चीजें आसानी से मिल जाती हैं.
अग्रेजों के जमाने का निर्मित यह मार्केट विशेष रूप से खूबसूरत गोलाकार आकृति में बनाया गया है.
कहा जाता है कि कुछ जमीदारों की जमीन पर ब्रिटिश सरकार ने साल 1929 में कनॉट प्लेस को बसाया था.
हालांकि, कुछ लोग सरकारी जमीन पर बताते हैं. लेकिन जमीन का असली मालिक कौन है इसका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है. कनॉट प्लेस को बनाने में 5 साल का समय लग गया था.
इसकी डिजाइन ब्रिटिश वास्तुकार राबर्ट टोर रसेल ने तैयार किया था. साल 1929 से 1934 के बीच इसका निर्माण किया गया.
Connaught Place का नाम ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था.
30 हेक्टेयर में फैली इस मार्केट का कानून रूप से मालिक भारत सरकार है. सरकार ही यहां बनी दुकानें का किराया लेती है.
पुरानी दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम 1958 के तहत कनॉट प्लेस में बनी कई संपत्तियों का किराया 3500 रुपसे भी कम है.
सरकार पुराने किरायेदारों स्टारबक्स, पिज्जा हट, वेयरहाउस कैफे और बैंकों को किराए पर देकर लाखों रुपये कमा रही है.