May 25, 2024, 09:56 PM IST
कला और अदब की स्तंभ थीं ये 7 तवायफे, इनके सम्मान में झुकते हैं दिग्गज कलाकार
Smita Mugdha
भारत में तवायफों ने कला और संस्कृति को आगे ले जाने की दिशा में भी बड़ी भूमिका निभाई है.
आज दशकों बीतने के बाद भी उन तवायफों का नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है. जानें ऐसी 7 हस्तियों के बारे में.
लखनऊ के चौक इलाके में एक तवायफ हुआ करती थीं दिलरुबा जान. उनकी खूबसूरती और कला की दाद आज भी दी जाती है.
रसूलन बाई बनारस घराने की फनकार थीं और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान भी उन्हें सम्मान से याद करते थे.
ज़ोहरा बाई को भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान स्तंभों में से एक माना जाता है. बड़े गुलाम अली भी उन्हें गुरु मानते थे.
जद्दनबाई ने शास्त्रीय संगीत के अलावा फिल्मों और रिकॉर्डिं की दुनिया में भी बड़ा नाम बनाया था. नर्गिस उनकी ही बेटी थीं.
बेग़म हज़रत महल इन्हें 'अवध की बेग़म' भी कहा जाता था कला के अलावा उन्होंने 1857 की क्रांति में बड़ी भूमिका निभाई थी.
बनारस और कलकत्ते की मशहूर तवायफ गौहर जान ने भारत में रिकॉर्डिंग की शुरुआत की, जिससे संगीत की दुनिया बदल गई.
पटना में एक तवायफ तन्नो बाई थीं जिनसे एक पुजारी को प्रेम हो गया था, वह बेहद उम्दा कलाकार भी थीं.
नोट: सभी तस्वीरें AI तकनीक के जरिए सांकेतिक तौर पर इस्तेमाल की गई हैं.
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