भारत में कुछ जानवरों को पालतू बनाना गैरकानूनी है. यह नियम न केवल उनके संरक्षण के लिए बल्कि इंसानों की सुरक्षा के लिए भी बनाए गए हैं.
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कई जानवरों की प्रजातियों को प्रोटेक्ट किया गया है. आइए जानते हैं, किन्हें पालतू बनाना प्रतिबंधित है.
दक्षिण एशिया के रेनफॉरेस्ट में पाए जाने वाले ओरंगउटान (Orangutans) को पालना भारत में गैरकानूनी है. इनकी घटती संख्या को देखते हुए इनका संरक्षण बेहद जरूरी है.
जंगल का राजा शेर (Lion) खतरनाक होने के साथ-साथ प्रोटेक्टेड स्पीशीज भी है. इन्हें पालतू बनाना न केवल कानूनन गलत है, बल्कि शेरों की आबादी को भी खतरे में डालता है.
भारतीय संस्कृति और वन्यजीव का अहम हिस्सा काले हिरण (Blackbuck) को पालना पूरी तरह प्रतिबंधित है. इनका शिकार और अवैध व्यापार एक बड़ी चुनौती है.
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ (Tiger)वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित है. इन्हें पालतू बनाना सख्त मना है, ताकि इनकी गिरती संख्या को रोका जा सके.
स्लॉथ भालू (Bear) को पालतू बनाना न केवल इंसानों के लिए खतरनाक है, बल्कि यह इनके प्राकृतिक जीवन को भी प्रभावित करता है.
हिमालयी क्षेत्रों के निवासी लाल पांडा (Red Panda) को पालतू बनाना सख्ती से मना है. यह रेयर और एंडेंजर्ड प्रजाति है, जिसे बचाने की जरूरत है.
मगरमच्छ (Crocodiles) खतरनाक शिकारी होने के साथ जलीय जीवन का अहम हिस्सा हैं. इन्हें पालतू बनाना इंसानों की सुरक्षा और इनके संरक्षण के लिए बैन है.
दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी किए जाने वाले जानवरों में से एक पैंगोलिन (Pangolins) भारत में संरक्षित प्रजाति है. इनका संरक्षण उनकी घटती आबादी के लिए जरूरी है.
इन प्रतिबंधित जानवरों को पालना केवल कानूनी अपराध नहीं, बल्कि पर्यावरण और वन्यजीव संतुलन को भी प्रभावित करता है. इनका संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है.