Jul 27, 2024, 08:30 PM IST
कथक ही नहीं इन नृत्य कलाओं में पारंगत होती थीं तवायफें
Smita Mugdha
आम तौर पर तवायफों के बारे में कहा जाता है कि वो ज्यादातर मुजरा ही करती थीं और अपने कद्रदानों को रिझाती थीं.
हालांकि, यह बात पूरी तरह से सच नहीं है क्योंकि कुछ तवायफें सिर्फ गाना गाती थीं या संगीत की प्रस्तुति ही देती थीं.
तवायफों के कोठे पर सबसे प्रचलित डांस फॉर्म कथक होता था जिसे लाहौर से लेकर लखनऊ, वाराणसी तक में परफॉर्म किया जाता था.
कथक में भी कई घराने होते हैं और अलग-अलग तवायफों की विशेषज्ञता अलग तरह के कथक नृत्य में होती थी.
दक्षिण भारत में भी तवायफों की संस्कृति थी और वह कथक के अलावा भरतनाट्यम भी करती थीं.
इसके अलावा, बदलते वक्त के साथ तवायफों ने कई और तरह की कलाएं भी सीखीं और इनमें पश्चिमी नृत्य शैली भी शामिल है.
तवायफों के कोठे पर गीत-संगीत और मुजरे के अलावा कभी-कभी शायरी की शामें भी सजती थीं.
तवायफों को नवाबों, रईसजादों और समाज के धनी और प्रभावशाली लोगों का संरक्षण भी प्राप्त होता था.
आजादी के बाद धीरे-धीरे समाज में तवायफों की संस्कृति खत्म होने लगी और लोग मनोरंजन के लिए सिनेमा जैसे माध्यम की ओर मुड़ गए.
Next:
क्या शराब की होती है कोई एक्सपायरी डेट?
Click To More..