Apr 15, 2024, 09:49 PM IST

भारत की वो तवायफ, जिसने 1857 की क्रांति में लिया था हिस्सा

Smita Mugdha

बेगम हजरत महल ऐसी हस्ती हैं जिनका जिक्र आज भी बहुत सम्मान के साथ किया जाता था.

बेगम हजरत महल के परिवार की खराब आर्थिक हालत की वजह से उन्हें शाही घराने में नाच-गाना करना पड़ता था. 

उन्हें शाही हरम के परी समूह में शामिल कर लिया गया, जिसके बाद वे ‘महक परी’ के नाम से मशहूर हुईं.

यहीं उन पर अवध के शासक वाजिद अली शाह की नजर पड़ी और वह उन पर अपना दिल हार गए थे.

काफी संघर्षों भरा जीवन जीने के बाद नवाब की बेगम बनने पर उनके जिंदगी में खुशहाली आई थी. 

सन 1856 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध राज्य पर कब्जा कर लिया और नवाब को बंदी बना कलकत्ता भेज दिया. 

इसके बाद बेगम हजरत महल ने अंग्रेजों से लोहा लेने का फैसला लिया और खुद जंग के मैदान में कूद गईं.

बेगम हजरत महल सभी धर्मों को समान रूप में देखती थीं और अपनी सेना में हर धर्म के सिपाही भर्ती किए थे. 

हजरत महल की सेना में महिला सैनिक दल भी शामिल था, जो उनके लिए सुरक्षा कवच की तरह था. 

जंग हारने के बाद उन्हें महल छोड़कर जाना पड़ा और उन्होंने नेपाल में शरण ली जहां उनकी मौत भी हुई थी.