May 11, 2024, 07:25 PM IST
दिल्ली का लौह स्तंभ 1600 सालों से भी ज्यादा पुराना है. लेकिन फिर भी आज तक इसमें जंग नहीं लगी.
यह स्तंभ कुतुब मिनार परिसर में है. सदियों से बने इस स्तंभ ने हर मौसम की मार झेली है.
अक्सर लोहे से बनी चीजों पर जंग लग जाती है, ऐसा लोहे के ऑक्सीकरण के कारण होता है.
दिल्ली का ये लौह स्तंभ आज भी वैसा है, जैसा यह निर्माण के समय था.
IIT कानपुर के एक्सपर्ट ने 2003 में इस स्तंभ पर जंग न लगने के रहस्य को सुलझाया था.
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली के लौह स्तंभ गढ़े लोहे से बना हुआ है. इसमें फॉस्फोरस की मात्रा ज्यादा है.
प्राचीन कारीगरों ने फोर्ज-वेल्डिंग तकनीक को अपनाया था, जिसमें लोहे को गर्म को गर्म करके पीटा, जिससे उसमें फास्फोरस की मात्रा बनी रही.
लौह स्तंभ की सतह पर मिसावाइट की एक पतली परत भी है, जो लोहा, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से मिलकर बना है.
इसकी ऊंचाई 7.2 मीटर है. साथ ही इसका वजन 6 टन है. इसका निर्माण चंद्रगुप्त द्वितीय के समय में बनवाया गया था.