Feb 22, 2024, 07:03 PM IST

लक्ष्मण 14 साल के वनवास में क्यों नहीं सोए थे?

Kuldeep Panwar

रामायण में पत्नी की रक्षा के लिए महाबली पर चढ़ाई, स्त्री के सतीत्व की शक्ति, मित्रता की कहानी के अलावा भाई-भाई के प्रेम की भी कथा है.

श्रीराम पिता का वचन पूरा करने, माता सीता पति का साथ देने के लिए, जबकि लक्ष्मण बड़े भाई के प्रेम में 14 साल उनके साथ जंगलों में रहे थे.

पौरोणिक कथाओं में दावा है कि राम-सीता की रक्षा के लिए लक्ष्मण ने 14 साल तक नींद का त्याग कर दिया था. वे वनवास में एक पल भी नहीं सोए थे.

लक्ष्मण को इसी कारण 'गुडा केश' यानी नींद का स्वामी भी कहते हैं. 14 साल तक वे सोने के बजाय राम-सीता की झोपड़ी के बाहर पहरा देते थे.

अपनी इसी खासियत के कारण लक्ष्मण लंका युद्ध में रावण के उस पुत्र मेघनाद का वध कर पाए थे, जिसे ब्रह्मा जी ने अजेय होने का वरदान दिया था.

पौरोणिक कथाओं के मुताबिक, अयोध्या से राम-सीता संग वनवास पर रवाना होने से पहले लक्ष्मण ने निद्रा देवी (नींद की देवी) की प्रार्थना की थी.

निद्रा देवी से लक्ष्मण ने वनवास के दौरान यानी 14 साल तक एक भी पल नहीं सोने का वरदान मांगा था ताकि वे राम-सीता के प्रहरी बन सकें.

निद्रा देवी ने लक्ष्मण को एक शर्त पर यह वरदान दिया था कि बदले में उनकी पत्नी उर्मिला 14 साल तक अयोध्या के राजभवन में लगातार सोती रहेंगी.

निद्रा देवी ने शर्त रखी कि रात में उर्मिला अपनी नींद सोएंगी और दिन में वे लक्ष्मण के हिस्से की नींद पूरी करेंगी. बदले में लक्ष्मण जागते रहेंगे.

लक्ष्मण ने ये शर्त मान ली और वे 14 वर्ष तक जागते रहे थे. इसी खासियत के कारण वे लंका युद्ध में मेघनाद का वध करने में सफल रहे थे.

ब्रह्मा जी ने मेघनाद को अमरता का वरदान देने के बजाय ये वरदान दिया था कि उसे वही इंसान मार सकेगा, जो 14 साल तक एक पल भी नहीं सोया हो.

मेघनाद ने यह वरदान स्वीकार कर लिया था और इसी कारण अजेय होने के बावजूद मेघनाद को लक्ष्मण के तीर का निशाना बनना पड़ा था.

पौरोणिक कथाओं में यह भी दावा किया जाता है कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक में भी लक्ष्मण इसी कारण नहीं शामिल हो पाए थे.

लक्ष्मण के अयोध्या पहुंचते ही उनका वरदान खत्म हो गया था और उन्हें नींद आ गई थी. राज्याभिषेक के समय वे राजमहल में नींद में डूबे हुए थे.

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