Sep 15, 2024, 10:14 PM IST
पता होने के बाद भी श्रीकृष्ण ने चौसर खेलने से पांडवों को क्यों नहीं रोका
Sumit Tiwari
महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे और धर्म का मार्ग निश्चित किया था.
भगवान श्रीकृष्ण ये युद्ध नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने कई बार कौरवों के सामने पांडवों की ओर से शांति प्रस्ताव रखा.
लेकिन क्या आप जातने है कि माधव ने पांडवों को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका.
उध्दव भागवत के अनुसार द्युतक्रीडा का निमंत्रण स्वीकार करने से पहले युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से सलाह नहीं ली थी
श्रीकृष्ण कहते है कि जीत हमेशा उसी व्यक्ति की होती है जो विवेक के साथ बु्द्धि का भी इस्तमाल करें.
द्युतक्रीड़ा के समय दुर्योधन ने विवेक से काम लिया और युधिष्ठिर पर उस समय अहंकार हावी था.
जब द्युतक्रीड़ा की चर्चा चल रही थी तब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से वादा लिया की वह सभा में न आए.
यही वजह थी कि श्री कृष्ण चाह कर भी पांडवों को इस पाप से नहीं बचा पाए थे.
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