महाराणा प्रताप ने तलवार से चीर दिए थे इस मुग़ल के घोड़े
Kavita Mishra
महान योद्धा महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच हुए युद्ध के बारे में हर कोई जानता है.
उन्होंने मुग़ल सल्तनत के सामने कभी हार स्वीकार नहीं की, वह अपनी मिट्टी के लिए आखिरी दम तक लड़ते रहे.
महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए हल्दीघाटी के युद्ध के कई किस्से आप जानते होंगे. जिसमें महाराणा प्रताप ने अपनी बहादुरी दिखाई थी.
क्या आप जानते हैं कि महाराणा प्रताप के बेटे अमर सिंह भी अपने पिता की तरह निडर थे.चलिए हम आपको पूरा किस्सा बताते हैं...
महाराणा प्रताप ने 1583 में विजयादशमी पर अपने सैनिकों के साथ मेवाड़ को आजाद कराने के लिए अभियान छेड़ा. महाराणा प्रताप ने सेना को दो हिस्सों में विभाजित कर युद्ध का बिगुल फूंक दिया.
एक टुकड़ी का नेतृत्व स्वयं महाराणा के हाथ में था तथा दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व उनके पुत्र अमर सिंह कर रहे थे.
अमर सिंह ने मुगल सेनापति पर भाले से इतनी जोर से वार किया कि भाला सेनापति का शरीर और घोड़े को चीरता हुआ जमीन में जा धंसा.
जिसके बाद महाराणा प्रताप ने बहलोल खान मुगल के सिर पर वार किया तथा तलवार से उसे घोड़े समेत काट दिया.
दिवेर के युद्ध ने मुगलों का मनोबल इस प्रकार तोड़ दिया कि उन्हें मेवाड़ के अपने सारे 36 थाने व ठिकाने छोड़ कर निकल जाना पड़ा था.