Jul 11, 2024, 11:12 PM IST
मुगल बादशाहों के शौक और रंगीन मिजाज से हम सभी परिचित हैं.
साल 1712 में बहादुर शाह (प्रथम) की मौत के बाद उसके बेटे जहांदार शाह ने गद्दी संभाली.
जहांदार शाह अपनी रंगीन मिजाजी के लिए जग जाहिर था. इसका एक तवायफ ने जमकर फायदा उठाया.
तानसेन के वंशज खसूरियत खान की बेटी लालकुंवर एक तवायफ थी. ये जहांदार शाह से उम्र में लगभग दोगुनी बड़ी थी.
जहांदार शाह लालकुंवर के प्रेम में इस कदर पागल था, कि वो उसे पाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार था.
लोकभारती पब्लिकेशन से प्रकाशित राजगोपाल सिंह वर्मा अपनी किताब ‘किंगमेकर्स में लिखते हैं कि...
जहांदार शाह लालकुंवर पर जमकर धन लुटाता था. लालकुंवर की इच्छाएं पूरी करने के लिए उसने अपना खजाना तक खाली कर दिया.
लालकुंवर के भाइयों को, उसके करीबियों और दूर के रिश्तेदारों तक को सौगातें बांटने लगा.
इस किताब में लिखा है कि समय लालकुंवर को दो करोड़ रुपए के बराबर का गुजारा भत्ता मिलता था.