Mar 12, 2024, 09:40 AM IST

इस शातिर मुगल शहजादी ने पिता और भाई को मुट्ठी में कर महल पर किया राज

Smita Mugdha

मुगल शहजादियों की जब भी बात आती है, तो शाहजहां की बेटी जहांआरा का नाम जरूर सामने आता है. 

जहांआरा बला की हसीन होने के साथ-साथ विदुषी भी थीं. उसने फ़ारसी में दो ग्रंथ भी लिखे थे.

जहांआरा मुगल सल्तनत की सबसे ताकतवर महिलाओं में से थी जिनका दबदबा पहले पिता और फिर भाई औरंगजेब के दौर में रहा था. 

जहांआरा ने उत्तराधिकार की लड़ाई में दारा शिकोह का साथ दिया था, लेकिन इसके बाद भी औरंगजेब ने उनकी शक्तियां कम नहीं की थी.

यह दिलचस्प है कि जहांआरा ने पहले शाहजहां के दौर में और फिर भाई औरंगजेब की हुकूमत में भी अपनी सत्ता बरकरार रखी थी. 

जहांआरा को भाई औरंगजेब ने पादशाही बेगम का दर्जा दिया था और वेतन के अलावा उन्हें कई सूबे और दो जहाज भी कमाई के लिए दिए थे. 

मुगल हरम में जहांआरा की हुकूमत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि औरंगजेब महत्वपूर्ण फैसलों में उनसे राय लेता था. 

जहांआरा ने ही दिल्ली में लाल किला से सटे मीना बाजार का निर्माण कराया था जिसे बाद में चांदनी चौक नाम दिया गया.

विद्वान और चतुर होने के अलावा जहांआरा एक कुशस शतरंज खिलाड़ी भी थी और इस खेल की बारीकियां उन्होंने पिता से सीखी थीं.