Jan 15, 2024, 12:18 AM IST
मां पर मुनव्वर राणा के 10 शेर, जिन्हें हमेशा याद रखेंगे लोग
Abhishek Shukla
गले मिलने को आपस में दुआएं रोज़ आती हैं अभी मस्जिद के दरवाज़े पे मांएं रोज़ आती हैं
ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया मां ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये, दिये से मेरी मां मेरे लिए काजल बनाती है
छू नहीं सकती मौत भी आसानी से इसको यह बच्चा अभी मां की दुआ ओढ़े हुए है
यूं तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिन माँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती है
वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया मां के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया
चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
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