भारत में करीब 400 प्रमुख नदियां हैं. केवल पुरुष स्वरुप ब्रह्मपुत्र नदी को छोड़कर बाकी सभी नदियों को देवी यानी स्त्री स्वरुप मानकर पूजा जाता है.
सारी भारतीय नदियां पश्चिम से पूर्व दिशा में बहती हैं. लेकिन जैसे ब्रह्मपुत्र इकलौती पुरुष नदी है, उसी तरह एक ही नदी है, जो उल्टा यानी पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती है.
मध्य प्रदेश के अनूपपूर जिले के अमरकंटक पठार से निकलने वाली नर्मदा पूर्व से पश्चिम दिशा में बहते हुए अरब सागर में मिलने वाली इकलौती नदी है.
क्या आप जानते हैं कि भारतीय नदियों में इकलौती मां नर्मदा ही अविवाहित मानी जाती है. इसके पीछे प्रेम, विश्वासघात और अकेलेपन से जुड़ी पौरोणिक मान्यता है.
मान्यता के मुताबिक, 'आकाश की बेटी' नर्मदा का मंगेतर बेहद सुंदर राजकुमार सोनभद्र था, जिससे वो बहुत प्रेम करती थी. लेकिन सोनभद्र को नर्मदा की दासी जुहिला पसंद थी.
अपने मंगेतर को दूसरे के प्यार में देखकर नर्मदा का दिल टूट गया और वो उससे दूर जाने के लिए ही उल्टी दिशा में यानी पश्चिम की तरफ बहने लगी.
मान्यता है कि बेवफाई के कारण दिल टूटने से ही नर्मदा ने हमेशा के लिए अविवाहित रहने का फैसला किया. इस कारण उन्हे बिन ब्याही नदी के तौर पर ही पूजा जाता है.
वैज्ञानिक नर्मदा नदी के उल्टा बहने का कारण रिफ्ट वैली को मानते हैं. जो पश्चिम की तरफ ढलान में है. इस कारण नदी उस दिशा में ही बहती है.
मध्य प्रदेश और गुजरात में बहने वाली नर्मदा को इन दोनों राज्यों में गंगा नदी के बराबर मानकर पूजा जाता है. नर्मदा का बेसिन 98,796 वर्ग किलोमीटर का है.
नर्मदा के अलावा ताप्ती, माही, साबरमती, लूनी समेत कई अन्य छोटी नदियां भी पूर्व से पश्चिम में बहती हैं, लेकिन ये सब सहायक नदियां ही हैं.
अमरकंटक से अरब सागर तक करीब 1077 किलोमीटर दूरी तय करने वाली नर्मदा देश की 5वीं सबसे लंबी नदी है, जो अपने बेसिन की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है.
कई जगह रीवा नदी के नाम से पुकारी जाने वाली नर्मदा के तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल ओंकारेश्वर धाम भी मौजूद है, जो अहम तीर्थ है.
दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति सरदार पटेल का स्टैचू ऑफ यूनिटी भी नर्मदा नदी के किनारे पर ही गुजरात के साधू बेट नाम के स्थान पर है.