May 22, 2024, 06:44 AM IST

लखनऊ का आखिरी नवाब, जिसके हरम में थीं 300 बीवी

Kuldeep Panwar

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नजाकत और नफासत का शहर माना जाता है. मुगलों के शासन में यह अवध (अयोध्या) के नवाबों की राजधानी था.

लखनऊ के नवाबों के किस्से आपको हर जगह सुनने को मिलेंगे, लेकिन इनमें नवाब वाजिद अली शाह का नाम सबसे ज्यादा अलग था.

लखनऊ का यह नवाब इतना अय्याश था कि उसके हरम में 300 बीवियां थीं, जो लखनऊ पर अंग्रेजों के हमले के बाद नवाब को छोड़कर भाग गई थीं. 

लखनऊ पर 9 साल राज करने वाले नवाब वाजिद अली शाह की गद्दी अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति से ठीक पहले छीनकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

अंग्रेजों ने लखनऊ पर हमला बोला तो नवाब के सारे नौकर और बेगमें महल छोड़कर फरार हो गईं, लेकिन अंग्रेजों को नवाब महल में ही मिले.

अंग्रेज अफसर ने पूछा कि आप क्यों नहीं भागे तो नवाब साहब बोले- भाग जाता, पर मेरे जूते नहीं मिले. नंगे पैर भागना मेरी शान के खिलाफ होता.

लखनऊ में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के दौरान 20,000 से ज्यादा लोगों की मौत की बात इतिहासकार बताते हैं. 1856 में लखनऊ पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया.

लखनऊ से हटाए जाने पर नवाब वाजिद अली शाह कोलकाता पहुंचे, जहां उन्होंने मटियाबुर्ज में छोटा लखनऊ बसाया था. यह जगह आज भी है.

कोलकाता के जरिये अपनी मां के साथ लंदन जाकर रानी विक्टोरिया के सामने झूठे आरोपों में रियासत छीनने की गुहार लगाना चाहते थे.

मटियाबुर्ज में नवाब बीमार हो गए और 1857 की क्रांति के कारण उन्हें फोर्ट विलियम में नजरबंद कर दिया गया. इससे उनका लंदन का सफर थम गया.

इसके बाद नवाब ने मटियाबुर्ज में ही लखनऊ बसाने की शुरुआत की, जिसकी जानकारी मिलने पर लखनऊ से 40,000 से भी ज्यादा लोग, वहां बसने के लिए पहुंच गए.

आज भी मटियाबु्र्ज में लखनऊ के लोगों की बसावट है और वहां बनी इमारतें नवाब वाजिद अली शाह की याद दिलाती हैं.