Mar 20, 2024, 06:11 PM IST

मिलें इन PMs से, किसी ने दिलाई 18 साल में वोटिंग राइट तो किसी ने दी हरितक्रांति

Puneet Jain

पंडित जवाहर लाल नेहरू: प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1947 से 1964 तक बतौर प्रधानमंत्री देश की कमान लगातार थामे रखी.

17 वर्ष के अपने कार्यकाल में उन्होंने  आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधार के लिए कई बड़े फैसले किए है, जिसमें उन्होंने योजना आयोग का गठन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित और पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की.

गुलजारी लाल नंदा: 1964 में पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद और 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद वह  कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने  थे.

लाल बहादुर शास्त्री: प्रधानमंत्री पद के रूप में शपथ लेने वाले वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे. 

महज 1 साल 216 दिन के अपने कार्यकाल में उन्होंने  हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का गठन जैसे बड़े फैसले किए.

इंदिरा गांधी: तीन बार - 1966, 1972 और 1980 - देश की प्रधानमंत्री बनीं. प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाली वे देश की तीसरी प्रधानमंत्री थीं.

15 वर्ष के अपने कार्यकाल में उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, बांग्लादेश को आजाद कराया, ऑपरेशन ब्लू स्टार, पहला परमाणु परीक्षण जैसे कई अहम फैसले किए.

मोरारजी देसाई: 1977 में देश के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. डिग्री. 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक उन्होंने प्रधानमंत्री पद की भूमिका निभाई. 

चरण सिंह: 1977 में देश के 5वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. उन्होंने जुलाई 28, 1979 - जनवरी 14, 1980 तक प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई थी.

राजीव गांधी: 1984 में बतौर 6ठे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. अक्टूबर 31, 1984 - दिसंबर 2, 1989 तक उन्होंने  भारत के प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई थी.

5 वर्ष के अपने कार्यकाल में उन्होंने 18 साल की उम्र में वोट का अधिकार दिया, ईवीएम मशीन के प्रयोग को बढ़ावा दिया, पंचायती राज का अहम फैसला किया, भारत में कंप्यूटर क्रांति और विज्ञान के प्रयोग की पहल की, चीन के साथ बेहतर संबंधों की नींव जैसे बड़े फैसले किए.

विश्वनाथ प्रताप सिंह: 1989 में देश के 7वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. 11 महीने के अपने छोटे से कार्यकाल में उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को मानकर देश में बहुसंख्यक वंचित समुदायों की नौकरियों में हिस्सेदारी पर मोहर लगा दी थी.