अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मंदिर का उद्घाटन करेंगे.
इस दौरान भगवान राम की मूर्ति स्थापित करके प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी. निर्माण के दौरान इस मंदिर की मजबूती पर खास ध्यान दिया गया है.
रूड़की के निदेशक प्रोफेसर रामंचरला प्रदीप कुमार ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर बताया कि पत्थर का जीवन अन्य निर्माण सामग्रियों की तुलना में बहुत अधिक है, इसलिए हमने इसका उपयोग किया है.
उन्होंने बताया कि राम मंदिर के निर्माण में जिस पत्थर का उपयोग किया गया है, वह बहुत लचीला है. हमने लोहे के उपयोग से भी परहेज किया है क्योंकि इसमें जंग लग जाती है.
मंदिर को ऊपर से नीचे एक ऐसी मजबूती दी गई है, जिससे ये भूकंप के झटकों को भी झेल सके. इससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.
बताया जा रहा है कि मंदिर को 6.5 की तीव्रता वाले भूकंप के साथ बनाया गया है. मंदिर को ऐसा बनाया जा रहा है कि उसमें 1000 हजार साल तक भी कुछ नहीं होगा.
मिर्जापुर से 4 लाख क्यूबिक फीट गुलाबी पत्थर लाए गए हैं. इसके साथ राजस्थान के बांसी पहाड़पुर से लाए गए एक लाख क्यूबिक फीट संगमरमर का भी इस्तेमाल किया गया है.
इसके साथ केरल और राजस्थान के कलाकर 4500 मूर्तियां बना रहे हैं.