May 1, 2024, 11:23 PM IST

चांदनी चौक की वो हवेली, जिसे देखते ही लोग कहते हैं गद्दार

Rahish Khan

दिल्ली का इतिहास बहुत लंबा रहा है. इसके सीने में तमाम किस्से दफन हैं. वफादारी से लेकर दगाबाजी तक.

ऐसी ही एक किस्सा 'नमक हराम की हवेली' का. यह हवेली दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है.

जो भी इस हवेली के सामने से गुजरता है, उसके मुंह से एक ही शब्द निकलता है 'गद्दार'

इस हवेली का किस्सा 19वीं सदी से जुड़ा हुआ है. जब तमाम रियासतों ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेक दिए थे, तब यशवंत राव होलकर उनके खिलाफ खड़े थे.

होलकर के एक वफादार भवानी शंकर खत्री ने गद्दारी करके अंग्रेजों से हाथ मिला लिया था. वह सारी जानकारी अंग्रेजों को पहुंचाता था.

1803 में होलकर और अंग्रेजों के बीच पटपड़गंज इलाके में भंयकर युद्ध हुआ. इसमें होलकर के साथ मुगल भी लड़े.

वहीं भवानी शंकर खत्री अंग्रेजों साथ जुड़ गए. तीन दिन चले इस युद्ध में मराठा फौज को हार का सामना करना पड़ा.

खत्री की वफादारी से खुश होकर उसे अंग्रेजों ने चांदनी चौक में एक शानदार हवेली तोहफे में दी, जहां वो अपने परिवार के साथ रहने लगा.

इसके बाद इस हवेली को लोग 'नमक हराम की हवेली' कहने लगे और जो भी इसके सामने से गुजरता वह गद्दार कहता.

यह हवेली आज भी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में मौजूद है. कुछ लोग इसमें किराये पर रह रहे हैं.