Aug 10, 2024, 05:16 PM IST

आजादी की सिपाही थी ये तवायफ, जिससे कांपते थे अंग्रेज

Kuldeep Panwar

भारत के स्वाधीनता संग्राम में मजदूर से राजा तक, सभी ने योगदान दिया था. इनमें पर्दे के पीछे काम करने वाले गुमनाम योद्धा भी थे. 

इन गुमनाम योद्धाओं में बहुत सारी तवायफ भी थीं, जो क्रांतिकारियों की मदद करती थीं. इन तवायफों में से एक अजीजन बाई भी थी.

Tawaif ajijan bai ने पेशे को ही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ हथियार बना लिया था. वे क्रांतिकारियों को खुफिया सूचनाएं देती थीं.

अजीजन बाई अपनी साथी तवायफों के साथ मिलकर अंग्रेज अफसरों से राज उगलवाती थी और उन्हें क्रांतिकारियों को सौंप देती थी. 

मध्य प्रदेश के राजगढ़ के जमींदार शमशेर सिंह के घर 22 जनवरी 1824 को जन्मी अजीजन बाई का नाम अंजसा रखा गया था.

अंजसा बेहद खूबसूरत थी. इसी कारण अंग्रेज सिपाहियों ने एक मेले में उसे अगवा करने के बाद लाठी मोहाल के कोठे पर बेच दिया था.

अंजसा नाचने वाली तवायफ अजीजन बाई बनने के बाद भी अंग्रेजों के इस काम के कारण उनसे बेहद नफरत करती थी.

अजीजन को पुरुषों जैसे लिबास पहनना, बंदूक-तलवार चलाना, घुड़सवारी करना बेहद पसंद था. उन्होंने कोठे पर नृत्य के साथ इन्हें भी सीखा था. 

अजीजन बाई का नृत्य पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध था. उनके मुजरे में बेहद धन-दौलत आती थी, जिससे वे क्रांतिकारियों की मदद करती थीं. 

अंग्रेजों के खिलाफ नफरत में अजीजन बाई नाना साहेब से मिलने कानपुर आई, जहां आकर उन्होंने मूलगंज की रोटी वाली गली में ठिकाना बनाया.

बिठूर में नृत्य के दौरान अजीजन की मुलाकात नाना साहेब के खास तात्या टोपे से हुई, जिनसे उन्होंने इनाम में क्रांति में हिस्सेदारी मांगी.

तात्या टोपे ने उन्हें नाना साहेब से मिलवाया. नाना साहेब ने अजीजन को अपनी बहन घोषित किया और अपनी तलवार उन्हें सौंप दी.

नाना साहेब ने अजीजन को अंग्रेजों से खुफिया सूचनाएं निकलवाने की जिम्मेदारी दी, जिसके लिए 400 तवायफों की 'मस्तानी टोली' बनाई गई.

'मस्तानी टोली' की तवायफें अंग्रेज सेना के बीच जाकर मुजरा करने के बहाने उन्हें हुस्न के जाल में फंसाकर उनसे खुफिया जानकारी लेती थीं.

अंग्रेजों ने बिठूर में औरतों-बच्चों का नरसंहार किया. इस पर मस्तानी टोली ने बीबीघर में छिपी अंग्रेज औरतों को मारकर कुएं में फेंक दिया था.

अजीजन और उनकी मस्तानी टोली हाथ में तलवार लेकर नाना साहेब के नेतृत्व में बिठूर के युद्ध में अंग्रेजी सेना के साथ लड़ी थी.

युद्ध में पकड़े जाने पर तात्या टोपे का पता देकर माफी पाने का ब्रिटिश जनरल हैवलॉक का प्रस्ताव अजीजन बाई ने हंसकर ठुकरा दिया था. 

ब्रिटिश जनरल ने इससे भड़ककर अजीजन को तोप के मुंह पर बंधवा दिया. अजीजन हंसती रही, जिससे भड़कर उन्हें बम से उड़वा दिया गया.