May 12, 2024, 12:03 AM IST
मुगल हरम में तवायफें सम्मानित स्त्रियां मानी जाती थीं. तवायफें संगीत, नृत्य, कविता और बातचीत में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती थीं.
मुगल हरम में नूरबाई जैसी तवायफें थीं जो शिक्षित और सम्मानित थीं. इन्हें अक्सर बड़ी रकम और भव्य उपहार मिलता था.
अपनी सुंदरता और बात करने की कला के लिए प्रसिद्ध नूर बाई, सम्राट मुहम्मद शाह रंगीला की पसंदीदा थीं और उनके आंतरिक कक्षों तक उनकी पहुंच थी.
रंगीला के कक्षों में, नूर बाई को प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा मिला, जिसे उन्होंने अपनी पगड़ी में छिपाकर रखा था.
कोहिनूर से जुड़ी बात को गोपनीय रखने की बजाए, नूर बाई ने दिल्ली पर आक्रमण करने वाले नादिर शाह को इसके बारे में बता दिया.
इसके बाद नादिर शाह ने एक रणनीतिक बनाई और शांति के लिए बातचीत की. रंगीला से कोहिनूर लेने के लिए नादिर शाह ने पगड़ी बदलने की एक रस्म का इस्तेमाल किया.
नूर बाई के विश्वासघात के कारण मुगलों के कब्जे से कोहिनूर हीरा छिन गया.
नादिर शाह कोहिनूर को अपने साथ ले गया, और अपनी यात्रा शुरू की, जो अंत में ब्रिटिश कब्जे में समाप्त हो गई.
आज कोहिनूर हीरा ब्रिटिश ताज के रत्नों में शामिल होकर शक्ति और विवाद का प्रतीक बना हुआ है.