Jul 22, 2024, 10:42 PM IST

संस्कारी तवायफों से इन्होंने कराई थी जिस्म फिरोशी

Aditya Prakash

तवायफों का मूल काम गायकी, नृत्य और संगीत में अपने कला का प्रदर्शन करना होता था.

मुगलों के समय तवायफों को खूब मान-सम्मान मिला, उनके कला को सराहा गया. उनके कला को उनका संस्कार माना जाता था.

अंग्रेजों के आने से पहले राजाओं के पास तवायफों की महफिलों से बड़े स्तर पर टैक्स आते थे. 

अंग्रेजों के आते ही तवायफों के कला को नजरअंदाज करना शुरू हो गया, और इन्हें 'नाच गर्ल' के नाम से पुकारा जाने लगा.

तवायफों ने अंग्रेजों के खिलाफ हो रहे विद्रोह में जमकर हिस्सा लिया था, इस कारण भी अंग्रेज इन्हें अपना दुश्मन समझते थे.

19वीं सदी में तवायफों के विरुद्ध नाच विरोधी मुहिम चलई गई. इस मुहिम का तवायफों को बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा.

अंग्रेजी हुकूमत नें इन्हें इस कदर अलग-थलग कर दिया, कि अपने कला संस्कार का प्रदर्शन करने वाली तवायफें, जिस्म फिरोशी करने को मजबूर हो गईं.

मौके का फायदा उठाकर अंग्रेज सुंदर तवायफों को जिस्म फिरोशी के लिए ब्रिटिश सेना के फौजियों के पास भेजने लगे.

अंग्रेजों के दौर का ही असर था कि समाज में इज्जतदार और कला संस्कार से निपुण माने जाने वाली तवायफों को बुरी नजरों से देखा जाने लगा.