Mar 16, 2025, 10:43 PM IST
यूपी का वो डाकू, बच्चों को सुनाई जाती है जिसकी कहानियां
Kuldeep Panwar
भारत में ऐसे डाकू रहे हैं, जिनके नाम से आम लोग कांपते थे. लेकिन हम जिस डाकू की बात कर रहे हैं, वो जनता का 'रॉबिनहुड' कहलाता था.
यह डाकू इतना खूंखार था कि उसका नाम सुनते ही अंग्रेज कांप जाते थे. वह अंग्रेजों और उनके पिट्ठुओं को लूटकर जनता में पैसा बांटता था.
हम बात कर रहे हैं सुल्ताना डाकू की, जिसकी कहानियां लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के एक बड़े इलाके में बुजुर्ग अपने बच्चों को सुनाया करते थे.
सुल्ताना डाकू खुद को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का वंशज मानता था. उसने घोड़े का नाम भी चेतक और कुत्ते का नाम रायबहादुर रखा था.
मुरादाबाद जिले के हरथला गांव में जन्मे सुल्ताना ने 17 साल की उम्र में जबरन ईसाई बनाने के खिलाफ आवाज उठाई तो उसे डाकू बनना पड़ा.
महज 22 साल की उम्र में उसका खौफ उत्तर प्रदेश ही नहीं पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक फैला था. हालांकि वो अंग्रेजों को ही लूटता था.
सुल्ताना डाकू के बारे में कहते हैं कि वह अपने मुंह में पूरा चाकू छिपा लेता था और जरूरत पड़ने पर दुश्मन के खिलाफ इस्तेमाल करता था.
सुल्ताना की लोकप्रियता ऐसी थी कि उसकी जिंदगी पर पंजाबी और हिंदी में कई फिल्में बनी थीं, जो बेहद चर्चित रही थीं.
सुल्ताना इतना दिलेर था कि वह पहले लुटने वाले को चिट्ठी से सूचना देता था. इसके बावजूद वह डाका डालकर आसानी से निकल जाता था.
100 डाकुओं के गिरोह के सरदार सुल्ताना की दिलेरी पर कहते हैं 1920 के दशक में एक अंग्रेज महिला मर मिटी थी और प्रेम करने लगी थी.
सुल्ताना का किला उत्तराखंड की सीमा से सटे यूपी के नजीबाबाद के जंगलों में था, जो आज भी उस इलाके में आने वाले टूरिस्ट्स को लुभाता है.
सुल्ताना डाकू की तारीफ में मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट ने अपनी किताब 'माई इंडिया' में 'सुल्ताना: इंडियाज रॉबिन हुड' चैप्टर लिखा था.
कॉर्बेट ने सुल्ताना के बारे में लिखा कि उसने निर्धन आदमी की एक कौड़ी नहीं लूटी बल्कि उल्टा दोगुना पैसा देकर उनकी हमेशा मदद की थी.
ब्रिटिश सरकार ने अंग्रेज अफसर फ्रैडी यंग के नेतृत्व में सुल्ताना डाकू को पकड़ने के लिए 50 घुड़सवारों वाली 300 जवानों की टीम बनाई थी.
फ्रैडी यंग कई कोशिश करने पर भी सुल्ताना को नहीं पकड़ सके थे. उल्टे खुद सुल्ताना ने एक बार यंग को पकड़ा और उनकी जान बख्शी थी.
यंग की टीम ने जब मुखबिर की मदद से सुल्ताना डकैत को पकड़ लिया था. तब यंग ने ब्रिटिश सरकार से उसे फांसी नहीं देने की गुहार लगाई थी.
यंग की गुहार को ब्रिटिश सरकार ने खारिज कर दिया था और 7 जुलाई, 1924 को सुल्ताना को 15 साथियों के साथ आगरा जेल में फांसी दी गई थी.
डाकू सुल्ताना का असली फोटो
फांसी से पहले जब यंग के मिलने के लिए आने पर सुल्ताना ने उनसे अपने बेटे को सम्मानित जिंदगी जीने वाला नागरिक बनाने का आग्रह किया था.
यंग ने सुल्ताना के बेटे को अपने खर्चे पर पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेजा था, जो वापस लौटने के बाद ब्रिटिश पुलिस में IPS अफसर बना था.
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