Dec 2, 2023, 04:13 PM IST

मरते समय दुर्योधन ने श्रीकृष्ण से क्या कहा था

Kuldeep Panwar

सभी जानते हैं कि महाभारत का युद्ध सबसे बड़े कौरव राजकुमार दुर्योधन के कारण हुआ था. दुर्योधन ने ही पांडवों को जुए में हराकर उनका राज्य छीना था और द्रौपदी का चीरहरण कराया था.

महाभारत का युद्ध शुरू होने के समय कौरवों की सेना पांडवों से संख्या में कहीं ज्यादा थी. ऐसे में दुर्योधन की कुछ गलतियां थीं, जिनके कारण कौरवों को इस युद्ध में हार मिली थी.

कहा जाता है कि यदि दुर्योधन ने ये गलतियां नहीं की होतीं तो पांडव कभी नहीं जीत पाते और उनके योद्धा भी अर्जुन के तीरों का शिकार बनकर परलोक नहीं जाते.

दुर्योधन को महाभारत के युद्ध के 18वें और आखिरी दिन भीम के साथ गदा युद्ध में हार मिली थी. जांघ की हड्डी टूटने के कारण जब वह मौत के करीब था तो उसने श्रीकृष्ण के कान में कुछ कहा था.

मान्यता है कि दुर्योधन ने श्रीकृष्ण के कान में अपनी वे गलतियां स्वीकार की थीं, जिनके कारण महाभारत के युद्ध में उसकी सेना की हार हुई थी.

दुर्योधन ने पहली गलती मानी थी कि उसने श्रीकृष्ण के रूप में खुद श्रीनारायण को चुनने के बजाय उनकी नारायणी सेना को चुना. इससे पांडवों को श्रीकृष्ण जैसा सलाहकार मिल गया.

दुर्योधन की दूसरी गलती थी कि जब माता गांधारी ने उसका शरीर वज्र जैसा कठोर बनाने के लिए नग्न आने को कहा तो वह श्रीकृष्ण के कहने पर जांघ पर पत्तों का लंगोट लपेटकर चला गया.

दुर्योधन के पत्तों का लंगोट लपेटने पर उसकी जांघ का हिस्सा कमजोर रह गया और भीम ने वहीं वार कर उसकी मौत तय कर दी. ऐसा नहीं होता तो वह सभी पांडवों का अकेले विनाश कर देता.

भगवान श्रीकृष्ण ने भी उससे कहा कि यदि वो यह भूल नहीं करता तो कौरव नहीं हारते और दुर्योधन के पूरे कुल का भी सर्वनाश नहीं होता.

दुर्योधन ने श्रीकृष्ण के सामने यह भी स्वीकार किया कि उसका व्यवहार और उसके द्वारा किए काम अधर्मी थे. इस कारण भी पाप का पलड़ा उसकी तरफ झुक गया और उसकी हार तय हो गई.