Nov 24, 2023, 08:11 PM IST

महाभारत युद्ध के बाद विधवाओं का क्या हुआ था

Kuldeep Panwar

महाभारत का युद्ध आज तक धरती पर लड़ा गया सबसे बड़ा युद्ध था, जिसमें लाखों की संख्या में योद्धा मारे गए थे. कहा जाता है कि आधी धरती के योद्धा इस युद्ध में मारे गए थे.

कुरुक्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में योद्धाओं की वीरगति से लाखों महिलाएं विधवा हो गई थीं. क्या आप जानते हैं कि महाभारत के युद्ध के बाद इन विधवाओं का क्या हुआ था?

इन विधवाओं के उद्धार की कहानी महाभारत ग्रन्थ के आश्रमवासी पर्व के तैंतीसवें अध्याय में दी गई है. इस अध्याय में बताया गया है कि कैसे ये विधवाएं मोक्ष पाकर परलोक चली गई थीं.

इस अध्याय के मुताबिक, युद्ध के बाद युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने. पांचों पांडव भाई माता कुंती के साथ ही कौरवों के पिता यानी अपने ताऊ धृतराष्ट्र व बड़ी मां गांधारी की भी सेवा करते थे.

महाभारत युद्ध की सभी विधवाओं को भी युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर में ही बसाया और उनके पालन-पोषण का खर्च उठाने लगे. ये विधवाएं अपने पतियों की मौत से दुखी थी, लेकिन राजा से ये नहीं कहती थीं.

करीब 15 साल बाद धृतराष्ट्र, गांधारी, माता कुंती और महात्मा विदुर व संजय तपस्या करने के लिए वन में चले गए. कुछ दिन बाद पांडव उनका हालचाल पूछने जाने लगे तो विधवाएं भी उनके साथ चली गईं.

पांचों पांडव गंगा नदी के तट पर आश्रम में चले गए, जबकि हस्तिनापुर से आए बाकी लोग वहीं वन में निवास करने लगे. कुछ दिन बाद वहां महर्षि वेद व्यास आए तो उन्होंने विधवाओं को दुखी देखा.

महर्षि वेदव्यास ने सभी को कहा कि मैं एक रात के लिए आपको परिजनों से मिलवाऊंगा. महर्षि व्यास ने गंगा नदी के किनारे सूर्यास्त के बाद तपोबल से महाभारत में मरे सभी योद्धा फिर से जीवित किए.

योद्धा एक-एक कर गंगा जल से बाहर आने लगे और अपने-अपने परिजनों से मिलने लगे और उन्हें बताया कि वे परलोक में खुशी से जीवन बिता रहे हैं. इससे सब खुश हो गए.

एक दिन बीतने पर सारे योद्धा गंगा जल में डुबकी लगाकर दोबारा परलोक लौटने लगे. इससे विधवाएं फिर दुखी हो गईं तो महर्षि वेद व्यास ने उन्हें एक और मौका दिया.

महर्षि वेद व्यास ने कहा कि जो भी स्त्री अपने पति के साथ उनके लोक जाना चाहती है, वो पवित्र गंगा जल में जीवन त्यागकर जा सकती है. इस पर विधवा स्त्रियों ने गंगा जल में डुबकी लगाई और मोक्ष पाकर दूसरे लोक चली गई.

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