Mar 15, 2024, 11:58 PM IST

महाराणा प्रताप की दादी थी इस मुगल बादशाह की बहन

Kuldeep Panwar

भारतीय इतिहास में मुगलों की सबसे बड़ी दुश्मनी मेवाड़ के वीर महाराणा प्रताप और मराठा सरदार छत्रपति शिवाजी के साथ दिखाई गई है.

महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर की सेना के बीच हुए हल्दी घाटी के युद्ध को भारतीय इतिहास की चर्चित लड़ाइयों में गिना जाता है.

कट्टर दुश्मनी के बावजूद यदि कोई कहे कि महाराणा प्रताप की दादी यानी चित्तौड़गढ़ की राजमाता एक मुगल बादशाह की बहन थी तो आप क्या कहेंगे?

चलिए आज हम बताते हैं चित्तौड़गढ़ किले की उस महारानी की कहानी, जिसका भाई मुगल बादशाह हुमायूं था और उसने यह फर्ज निभाया भी था.

यह कहानी है मेवाड़ की महारानी कर्णावती की, जो अपने समय के सबसे बड़े राजपूत वीर कहे जाने वाले राणा सांगा की पत्नी थीं.

रानी कर्णावती को राजस्थान के राजपूताने में आज भी वीरता और साहस की आदर्श मूर्ति माना जाता है, जिसने बुद्धिमानी से राज्य को दुश्मनों से बचाया था.

दरअसल राणा सांगा के निधन के बाद उनसे डरने वाले गुजरात के शासक बहादुरशाह ने 1533 BC में मेवाड़ के ऊपर आक्रमण कर दिया.

मेवाड़ की कमान उस समय रानी कर्णावती ही संभाल रही थीं, जिसके चलते बहादुरशाह को लगा कि वो महिला से आसानी से राज्य छीन लेगा.

रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर अपना भाई बनाया और उससे मेवाड़ की रक्षा के लिए बहादुरशाह के खिलाफ मदद मांगी.

इतिहासकारों के मुताबिक, रानी की राखी देखकर हुमायूं भावुक हो गया और उसने दिल्ली के दरबार में ही राखी को अपनी कलाई पर बांध लिया.

बहादुरशाह की सेना ने मेवाड़ में घुसकर लूटपाट शुरू कर दी, जिसके चलते रानी कर्णावती ने 8 मार्च, 1534 को हजारों महिलाओं के साथ जौहर कर लिया.

हुमायूं को जानकारी मिली तो उसने बहन की राखी का मान रखने के लिए बहादुरशाह पर हमला कर दिया. हुमायूं ने मेवाड़ को जीतकर रानी कर्णावती के बेटों में बांट दिया.