Mar 10, 2024, 04:39 PM IST

जानें कौन थी माता शबरी और उन्होंने भगवान राम को क्यों खिलाए थे जूठे बेर 

Puneet Jain

शबरी का जन्म एक गरीब आदिवासी परिवार में हुआ था.आदिवासी होने के कारण उन्हें अछूत माना जाता था. 

उनके माता-पिता ने उनका विवाह एक ऐसे व्यक्ति से तय किया, जिसे मांस-मदिरा के अलावा और कुछ दिखता ही नहीं था. 

जिस कारण वो शादी से कुछ समय पहले घर छोड़ कर जंगल में भाग गईं.

जंगल में वह ऋषियों की सेवा करने लगीं. साथ ही वह उनके लिए लकड़ियां, हवन की सामाग्री और खाने के लिए फल तोड़कर लाती थी.

एक दिन जैसे ही ऋषियों को उनके अछूत होने के बारे में पता लगा तो सभी ने उनसे मुंह फेर लिया.

 ऋषियों ने वहां से पानी लेना भी बंद कर दिया. जहां से शबरी उनके लिए पानी भरने जाती थी. 

ऋषि मतंग ने उन्हें अपनी बेटी की तरह अपनाया और उन्हें शिक्षा प्रदान की.

अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले उन्होंने शबरी को बताया कि एक दिन भगवान राम तुम्हारी कुटिया में आएंगे और तु्म्हें इस जीवन से मुक्ति देंगे.

 अपनी बुजुर्ग अवस्था तक माता शबरी जंगल से फूल तोड़कर अपनी कुटिया सजाती रहीं और मीठे बेर चखकर राम के लिए रखती रहीं  लेकिन राम नही आए.

एक दिन भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ जंगल में जल की खोज में उसी तलाब के पास पहुंचे तभी ऋषियों ने उन्हें रोक दिया.

ऋषियों ने कहा कि इस तलाब का पानी अछूत है क्योंकि एक अछूत नारी ने यहां से जल लेती है.

तभी भगवान राम ने उन्हें डांट दिया और उनसे उस नारी का पता पूछकर उनके घर चले गए.

शबरी उन्हें देखते ही पहचान गईं और राम का स्वागत किया. उन्हें अपने मु्ंह से चखे हुए मीठे बेर परोसे, जिसे भगवान राम ने प्रेम से खाया.

इसके बाद शबरी ने उनसे देह त्याग की इच्छा जताई. राम का आशीर्वाद मिलते ही शबरी उनके सामने अपना शरीर त्याग दिया.