बेटे की मौत और फिर पति की प्रेरणा से बनीं डॉक्टर, दिल छू लेगी ये कहानी
Puneet Jain
डॉक्टरी एक ऐसा पेशा है, जिसमें डॉक्टर्स न केवल लोगों के स्वास्थ का ध्यान रखते हैं, बल्कि लोगों की जान की रक्षा भी करते हैं.
पहले के समय में मेडिकल एंट्रेस की परीक्षा नहीं होती थी, उस दौरान आनंदीबाई जोशी ने डॅाक्टरी की पढ़ाई की और भारत की प्रथम महिला डॉक्टर बनने का गौरव हासिल किया.
18वीं शताब्दी में जब बेसिक शिक्षा भी हर किसी को आसानी से प्राप्त नहीं होती थी, उस समय आनंदीबाई जोशी ने अपनी डॉक्टरी की डिग्री हासिल की थी.
केवल 9 वर्ष की आयु में आनंदीबाई जोशी का विवाह, उनसे 20 वर्ष बड़े गोपालराव से हुआ. मात्र 14 वर्ष उम्र में ही वे मां बन गई थीं.
जन्म के केवल 10 दिन बाद ही उनके बच्चे ने अपने प्राण त्याग दिए. इस घटना के बाद ही, उन्होंने डॉक्टर बनने का निर्णय किया.
उनके इस निर्णय में पति गोपालराव ने उनका खूब साथ दिया. लोगों द्वारा इस दंपति की काफी आलोचना भी की गई जिसे नजरअंदाज कर वह लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं.
स्वास्थय ठीक न होने के बावजूद आनंदीबाई साल 1883 में कोलकाता के तट से पानी के जहाज में बैठकर न्यूयॉर्क गईं.
न्यूयॉर्क जाकर उन्होंने पेंसिलवेनिया के महिला विश्वविद्दालय में दाखिला लिया.