Jan 19, 2024, 10:27 AM IST
नागर शैली में ही क्यों बना है रामलला का भव्य मंदिर?
Abhishek Shukla
नागर शैली भारत में विकसित हुई है. यह उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला की प्रमुख शैली है.
यह शैली देश में सातवीं शताब्दी के बाद विकसित हुई, इसमें नवीनता है, इसकी भव्यता लोगों का सहज ही मन मोह लेती है.
नागर शैली के मंदिर शिखर अपनी ऊंचाई के क्रम में ऊपर की ओर पतले होते जाते हैं. यह मंदिर सैकड़ों वर्षों तक अडिग रह सकते हैं.
राम मंदिर में द्रविड़ शैली का भी इस्तेमाल हुआ है. यह मंदिर पूर्ण भारतीय मानदंडों के हिसाब से तैयार किया गया है.
अभी तक जो मंदिर निर्माण का घटनाक्रम है उसमें अब तक 392 पिलर, 44 गेट तैयार हुए हैं. साथ ही नागर शैली की वास्तुकला की झलक दिखी है.
नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की एक शैली है. आइए जानते हैं इसकी खासियत.
नागर शैली में बने इस मंदिर में पर्याप्त जगह है, तीन प्रमुख तल हैं, जिसमें देवताओं की मूर्तियां विराजेंगी.
नागर शब्द की उत्पत्ति नगर से हुई है. यह शैली हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक दिख जाती है.
मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था, भव्यता, जगह और मजबूती की वजह से इस शैली में मंदिर बनाया गया है. इस मंदिर में नवीनता में प्राचीनता का ख्याल रखा गया है.
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