Aug 10, 2024, 03:01 PM IST

जलती चिताओं के सामने क्यों थिरकती हैं तवायफ

Aditya Prakash

काशी को मोक्ष की नगरी के तौर पर जाना जाता है, यहां आकर लोगों को अक्सर बोध होता है कि सब माया है.

काशी की एक अजीबोगरीब परंपरा के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे, ये परंपरा तवायफों से जुड़ी हुई है.

काशी में गंगा के किनारे कई श्मशान घाट मौजूद हैं, उन्हीं में से एक है मणिकर्णिका घाट.

मणिकर्णिका घाट पर जहां एक तरफ चिताएं जलती रहती हैं, वहीं दूसरी तरफ तवायफें जमकर थिरकती हैं.

मणिकर्णिका घाट पर ऐसा हर साल चैत्र नवरात्र की अष्टमी की रात को होता है, इस दौरान इस घाट को पूरी तरह से सजा दिया जाता है.

मान्यता है कि ऐसा करने से मुर्दों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वो अगले जन्म में वो बुरे कर्मों से बन जाते हैं.

इस प्रथा की शुरूआत राजा मान सिंह की तरफ से की गई थी. 

उस वक्त इस महफिल में उनके राजदरबार के प्रसिद्ध गीतकार और नृत्यकारों को बुलाया जाता था.

बाद में वो नगरवधुओं और तवायफों को भी इस महफिल में बुलाने लगे. तभी से ये परंपरा निरंतर चली आ रही है.