Dec 16, 2024, 01:57 PM IST

खुद को तराजू में रख सोने-चांदी में क्यों वजन तौलते थे मुगल बादशाह?

Smita Mugdha

मुगल बादशाहों की शाहखर्ची और अय्याशी की कई कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज है.  

जहांगीर और शाहजहां के पैसे पानी की तरह बहाने की घटनाओं से इतिहास के पन्ने भरे हुए हैं. 

मुगल बादशाह खास मौके पर अपना या अपने शहजादों का वजन सोने और चांदी से तौलते थे. 

दरअसल ईरान में नवरोज की परंपरा है जो पारसियों का प्रमुख त्योहार है. इस दिन क्षमता के मुताबिक दान दिया जाता है. 

मुगल बादशाह भी अपने या बेटों के जन्मदिन के मौके पर या नवरोज के मौके पर दान देने के लिए ऐसा करते थे. 

हुमायूं ने कुछ समय तक ईरान में शरण ली थी और वहां की कुछ परंपराओं को उसने भारत आने के बाद भी जारी रखा था.

ईरान में आज भी नवरोज का त्योहार शिया मुसलमान मनाते हैं और इसी दिन से ईरान के नए वर्ष की शुरुआत होती है. 

नवरोजके दिन नए कपड़े पहनने, पकवान बनाने के साथ ही अपने पूर्वजों को भी याद किया जाता है. 

हालांकि, औरंगजेब ने नवरोज और इस परंपरा को गैर-इस्लामिक बताया था और इस पर रोक लगा दी थी.