Aug 15, 2024, 04:35 PM IST

इस मुगल की मर्दानगी पर क्यों उठे थे सवाल

Aditya Prakash

1707 में औरंगजेब की मौत हुई. अगले कुछ सालों में दिल्ली में कई बादशाह बनाए गए. कई आए और चले गए.

27 सितम्बर 1719 को तख़्तनशीन हुए 'रौशन अख्तर' उर्फ मुहम्मद शाह. जो मुगलिया वंश में 13वें नंबर के बादशाह थे. 

16 साल की उम्र में सय्यद भाइयों की मदद से उन्होंने तख्त हासिल किया और फिर असफ जाह की मदद से उन्हें भी ठिकाने लगा दिया.

मुहम्मद शाह के आते ही दिल्ली में बहार एक बार फिर लौट आई. औरंगजेब के जमाने में बंद हुए गाजे-बाजे फिर ताल बिठाने लगे.

मुहम्मद शाह ने उर्दू से प्रभावित होकर उसे राजदरबार की भाषा बनाया. उर्दू दरअसल तब लश्करी-जबान के नाम से जानी जाती थी.

लोग उन्हें रंगीला बादशाह बुलाते थे, वो रंगीन मिजाज आदमी थे, उन्होंने किसी भी जंग में हिस्सा नहीं लिया.

बादशाह को को औरतों के कपड़े पहनना बेहद पसंद था. वो दरबार में अक्सर जानना लिबास पहनकर आ जाते थे.

इसी के चलते उनके नामर्द होने की अफवाह भी फैलने लगी थी. लोग यही बात करने लगे कि रंगीला बादशाह नामर्द हैं.

मजबूरन उन्हें मर्दानगी साबित करने के लिए एक पेंटिंग बनवानी पड़ी जिसमें उन्हें एक महिला के साथ संबंध बनाते हुए दिखाया गया था.