भारत में शराब पीने वाले बढ़ रहे हैं. एक जर्मन संस्था की रिसर्च के मुताबिक, 2010 से 2017 के बीच भारत में शराब की खपत 38% बढ़ी है.
इस रिसर्च में दावा किया गया था कि भारत में प्रति व्यक्ति शराब की सालाना खपत 4.3 लीटर से बढ़कर 5.9 लीटर पहुंच गई है. इसमें महिला-पुरुष, दोनों शामिल हैं.
भारत में पुरुषों के शराब पीने को बुरी लत माना जाता रहा है. ऐसे में महिला के शराब पीने पर तो हल्ला ही मच जाता है, लेकिन बदलाव की बयार इन पर भी है.
भारत में शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का दावा करने वाली महिलाएं इस काम में भी टक्कर दे रही हैं.
साल 2019 में केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया था कि देश की 1.5 करोड़ महिलाएं कोई न कोई नशा करती हैं.
कटारिया ने सांसद पंकज चौधरी के सवाल के जवाब में NDDTC और AIIMS की साल 2019 की रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि नशेड़ी महिलाओं में 90 लाख शराब की आदी हैं.
कटारिया ने बताया था कि हर 16 में से एक महिला शराब के बिना नहीं रह पाने की हद तक इसकी आदी है. देश का कोई राज्य ऐसा नहीं है, जहां महिलाएं शराब नहीं पीती हैं.
शराबी महिलाओं की बढ़ती संख्या का यही दावा नहीं है बल्कि केंद्र सरकार का 2019 से 2022 के बीच का नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे भी ऐसी ही बात कह रहा है.
सर्वे के साल 2022 में आए आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं, जिनमें 15 साल से अधिक उम्र के 19% पुरुष और 1.03% महिलाएं हैं.
शराबी पुरुषों में 19.9% शहरी और 16.5% ग्रामीण हैं, जबकि महिलाओं में इसका उल्टा है. गांवों में 1.6% और शहरों में 0.6% महिलाएं शराब का शौक रखती हैं.
15 साल से उम्र की शराब पीने वाली सबसे ज्यादा 24% महिलाएं अरुणाचल प्रदेश में हैं, जबकि सिक्किम ने इस मामले में 16% के साथ दूसरा स्थान ले रखा है.