किस तवायफ को कहा जाता था 'मुजरे की रानी', गायकी में नहीं था कोई जवाब
Nitin Sharma
भारत में तवायफों का लंबा इतिहास रहा है. एक समय पर कोठों में रहने वाली तवायफें अपनी खातिदारी, नाच, गाने से लेकर तहजीब के लिए जानी जाती थीं.
राजा महाराजा तवायफों के पास आकर अपना समय बिताते थे. वह उनके नाच और गाने पर खूब मोहरे लुटाते थे.
जब भी कोठे और तवायफों की बात की जाती है तो इन 5 तवायफ का जिक्र जरूर किया जाता है. क्योंकि यह वे तवायफ थीं, जिनका नाम बहुत ही इज्जत के साथ लिया जाता था.
लखनऊ की दिलरूबा जान लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध थी, इन्होनें मेयर का चुनाव लड़ा था. ये जब चुनाव प्रचार के लिए निकलती थी. लोग इन पर फिदा हो जाते.
जद्दनबाई बहुत फेमस गायिका थी. इनकी आवाज सुनकर लोग पागल हो जाते थे. कई राजा गुलाम बनकर इनके पास पहुंचते थे. ये पहली वूमेन म्यूजिक डायरेक्टर थी.
अपनी मर्दाना आवाज से जानी जाने वाली और शास्त्रीय संगीत में पहले पायदान पर जोहरा बाई थीं. इन्हें आगलवाली के नाम से भी जाना जाता है.
बेगम हजरत महल, इन्होनें अंग्रेजो को भगाने में सबसे ज्यादा मदद की, लेकिन लास्ट में ये हार मान गयी और नेपाल चली गईं.
तन्नों बाईं, जिसे मुजरे की रानी कहा जाता है, इस पर वैष्णव मंदिर के पूजारी भी फिदा थे.