ज्यादातर लोगों की सुबह की शुरुआत टूथपेस्ट के साथ होती है. यह हमारी दिनचर्या में अहम भूमिका निभात है.
टूथपेस्ट भारत में नया नहीं है, इसके इतिहास की बात करें तो यह 500 ईसा पूर्व के आसपास इस्तेमाल किया जा रहा है.
बदलते समय के साथ टूथपेस्ट में कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाने लगा, जो हमारे दांतों सही और साफ रख सकें.
क्या आपको पता है कि टूथपेस्ट भी वेज और नॉनवेज होते हैं. आप कौन सा टूथपेस्ट इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका पता भी लगा सकते हैं.
दरअसल टूथपेस्ट में ऐब्रसिव्स, फ्लोराइड्स, डिटर्जेंट्स और ह्यूमेक्टेंट्स जैसे केमिकल होते हैं, जो दांतों से प्लाक व कैविटी को रोककर साफ रखते हैं.
डेंन्टिस्ट के अनुसार, दांतों को साफ रखने से लेकर कैविटी से बचाने के लिए किसी नॉनवेज इंग्रीडिएंट की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ टूथपेस्ट को और भी ज्यादा इफेक्टिव बनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है.
अगर आपको पहचानना है कि आपका टूथपेस्ट वेज है या नॉनवेज तो इसके लिए FSSAI के नियमों के अनुसार उस पर लगे लेबल देखकर लगा सकते हैं. इसमें हरा वेज और लाल भूरे रंग का त्रिकोण बिंदू नॉनवेज का संकेत देता है.
वहीं टूथपेस्ट में नॉनवेज सामग्री की बात करें तो इसमें ग्लीसरीन, कैल्शियम फॉस्फेट या कुछ दूसरे एंजाइम्स शामिल हैं तो समझ लें कि यह नॉनवेज पेस्ट है. इसकी जानकारी पेस्ट या कंपनी वेबसाइट पर जरूर उपलब्ध होती है.