क्या आप 'चाणक्य नीति' लिखने वाले आचार्य चाणक्य की मृत्यु के बारे में जानते हैं? उनकी मौत कैसे हुई थी.
चाणक्य पहले मौर्य शासक चंद्रगुप्त और बाद में उनके पुत्र बिंदुसार के राजनीतिक सलाहकार थे.
एक बार चाणक्य को पता चला कि उनके शत्रु राजा चंद्रगुप्त को मारने की साजिश रच रहे हैं, तो चाणक्य ने राजा को प्रतिदिन भोजन में थोड़ी मात्रा में जहर खिलाना शुरू कर दिया.
वे जानते थे कि यह जहर शत्रु द्वारा दिये गये जहर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है.
ये बात चंद्रगुप्त को पता नहीं थी और एक दिन उन्होंने प्रेमवश अपनी नौ महीने की गर्भवती पत्नी को अपनी थाली से भोजन दे दिया.
इस खाने में जहर था और रानी इस जहर बर्दाश्त नहीं कर पाई और मर गई. लेकिन चाणक्य ने रानी का पेट काटकर उसके अजन्मे बच्चे को बचा लिया.
यही बालक एक दिन बिन्दुसार बन गया और राज्य में प्रवेश कर गया. जब बिन्दुसार बड़े हुए तो उनके मंत्री ने उनकी मां की मृत्यु के लिए चाणक्य को जिम्मेदार बता दिया.
इस कारण बिन्दुसार, चाणक्य से घृणा करने लगा और मंत्री के साथ मिलकर वह चाणक्य की हत्या करने को तैयार हो गया.
अंततः बिन्दुसार का मंत्री सुबन्धु छल से चाणक्य को जहर दे दिया था और कहीं पर उल्लेख है कि चंद्रगुप्त की पत्नी ने चाणक्य को जहर दिया था.
इतिहास के पन्ने में एक और जिक्र चाणक्य की मौत का है. वह यह की चाणक्य खुद मगध को छोड़कर जंगल चले गए और फिर कभी नहीं लौटे थे.
चाणक्य की मौत ईसा पूरा 283 में हुई थी,
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)