प्रकृति अद्भुत चीजों में से भरी हुई है और सबसे मजेदार चीजों में से एक है छिपकलियों का अपनी पूंछ को वापस उगा लेना.
छिपकलियों में अपनी पूंछ को उगा लेने की अद्भुत क्षमता होती है और इसे ऑटोनॉमी और सब्सिक्वेंट रिजनरेशन के नाम से जाना जाता है.
छिपकलियों के पास शिकारियों से बचने का स्मार्ट तरीका होता है अपनी पूंछ को गिरा देना. इससे शिकारी का ध्यान भटकता है और छिपकली को भागने का मौका मिलता है.
छिपकलियों की पूंछ के कटते ही उसके शरीर की कुछ कोशिकाएं कटे हुए हिस्से को बंद कर देती हैं जिससे बहुत ज्यादा खून के बहने को रोकने में मदद मिलती है.
छिपकली के शरीर से स्ट्रेस हार्मोन निकलते हैं जो रक्त वाहिकाओं को जल्दी से बंद कर देते हैं और अपनी पूंछ के हिस्से को खोने के प्रभाव को कम करते हैं.
अपनी पूंछ के गिरने के बाद छिपकलियां ब्लास्टेमा की मदद से इसे दोबारा उगाना शुरू कर देती हैं. ब्लास्टेमा विशेष कोशिकाओं का एक समूह है जो दोबारा पूंछ बनाने के लिए जरूरी कोशिकाओं में बदल जाता है.
छिपकली के पूंछ उगने में एपिजेनेटिक्स भी मदद करती है. एपिजेनेटिक्स का मतलब है वास्तवित डीएनए बदले बिना जीन के इस्तेमाल में छोटे बदलाव.
छिपकली अपने जीवन में कई बार अपनी पूंछ गिरा सकती है लेकिन इनके उगे हुए पूंछ की गुणवत्ता और कार्यक्षमता समय के साथ कम होती जाती है.